Sunday, August 15, 2010

कुरेद कुरेद

पत्थरो पर कुरेद कुरेद कर तेरे नाम को,
यूँ पाक कर दिया हैं,आयतें कुरान को!!

यु ही चल चल कर तेरी परछाई के पीछे,
जिन्दा रहने का हुनर आया हैं रहमान को..

रोज देखता हूँ तुझे चाँद के बहाने,
और इसी बहाने का रहता हैं इंतज़ार एक इंसान को..

मर कर भी तुझे पाया तो क्या पाया ,
तेरे संग ज़िंदगी बिताने का अरमान हैं इस बेईमान को..

किसी भी काम का नहीं हूँ में!!

के कोई मुझसे दर्द दे,
किसी काम का नहीं हूँ में,
तेरी जुल्फों के सिवा,
किसी भी शाम का नहीं हूँ में.

कोई बेशक मदहोश करे,
या ले बज़्म में चूमे.
किसी हसीं,
किसी जाम का नहीं हूँ में...

किसी भी काम का नहीं हूँ में!!!

शेर

१. नंगी तस्वीर को,फिर बिस्तर पर सजा दिया किसने,
गोश्त गरम खाओ तो ही सुकूँ मिलता हैं!!

२.लिखने वाला ही वो हैं,जो पी के लिखे,
जो लिखे होश-ओ-हवाश में,मियाँ वो भी क्या खाक लिखे!!

३.कोई मुझे आज तेरी खबर देता हैं,
तु अच्छी  हैं मगर,जिंदा नहीं!!

४.एक बिसात जो ज़िन्दगी ,तो खेल ना इसे.
कांच के टोकरे भरे,ज़िन्दगी भी कही रख लियो!!!

५.जो मैंने कही यु ही लिख दिया,उससे जला दो,
कही वो ना जला दे उसे,
एक आस,
जिसके सहारे तुम रोज रोती हो!!!

६.एक उम्मीद सी बंधे,जब कोई नाम ले मेरा,
बेहतर हैं,में अपना नाम बदल लू!!!

७.कुछ स्याही हर्फ़ बन गयी,कुछ बिखर गयी रुखसार पे,
हम तो बस यु ही, मशहूर हो गए!!!

८.कभी तो आ,की में भी तन्हाँ हूँ तेरी तरह!!!

९.हर दुश्मन लगे दोस्तों सा मुझे,
कुछ दोस्त जो यहाँ, दुश्मन बने बैठे हैं!!!

१०.बेशक ना कोई शौक दे,
ना नवाजे शोहरतों से,
ना मुफलिसों को रहम दे,...

कोई ना बस दुश्मनों को भी,
तुझसा सनम दे!!!!

११.हर आखिरी मुलाकात पर हम सोचते हैं,
बहाने कल मिलाने के,
जो तुमने अलविदा कहा आज,
जाओ तुम्हें  माफ़ किया,
नासमझ हो तुम!!

शेर

मैं शेर..

१.
ऐतराम बंधे हो इससे राज रखो
लोग सुनेंगे,बेवफा कहेंगे तुम्हें
रात को जगती हो तो क्या,
चाँद  नहीं,
ओपरी हवा कहेंगे तुम्हें...

२.
राती राती न जगाया कर..
जदों बुलाऊ,आ जाया कर...

की मोल लगाना तेरी देह  का..
मेरे बिना  ..
जदों इश्क गाऊ,
बिखर जाया कर..

राती राती न जगाया कर..
जदों बुलाऊ,आ जाया कर...

३.
कर कुफ्र जा संभालू न कटी
तु ज़ुल्म कर,बस आह करू
पेशानी पे जश्न अब भी

४.
तुम सब खामोश क्यों,चएको मरे यारो
आज तो चाँद पूरा हैं
और किस चाँद की बात

और किस चाँद की बाततेरा नहीं हैं वो
अधुरा हैं

अधुरा हैं

५.
तु  जलने दे मुझे की बिन मेरे 
आज शाम रोशन न हो..
कही कोई फिर ये ना कह  दे शेर
तुझे महफ़िल  मैं गम  न हो..

६.
कुफ्र की रात थी
तमाशगीर  कहते हैं
बेतहासा  कुफ्र किया मैंने
हर सांस  से पहले हर सांस  के बाद
 बस नाम तेरा लिया मैंने

७.
अगर सुपुर्द-ऐ-खाक करू खुद को तेरे इश्क  मैं
तो क्या संभालोगी  ज़रा
कुछ नहीं
बस तु हैं,
और इश्क हैं यहाँ..
ये कब्रिस्तान  जो दिल हैं महक उठे
जो तु  आई  यहाँ
बेशक  न हो रंग-ओ-रोनक मेरे सेहर  मैं
मैं हूँ यहाँ

तु हैं यहाँ


८.
तुम सिर्फ इश्क  करो
रूहे बदलने  की बातें न करो
मेरी रूह
जहाँ के गमो से भरी हैं
तुम नाज़ुक बहुत हो

९.
नुक्तो कसीदों हर्फो  के फेर  बदल मैं
कमजोर  हूँ अभी
ये रूहानी कलम  का भोझ  तेरी पलकों से उठाऊ  कब तलक
किसे  तमना हैं बने इंसान बेहतर
तु  दर्द दे
इश्क  मैं और ज़ुल्म धा,
कम से कम
बेहतर शायर ही बना


१०.
हम तो यु ही चल देते हैं,

जब भी दाद-ऐ-वफ़ा आये

तुम रहो धुल उड़ाते ,तकते आसमान

तुम्हारी तरफ की न जाने कब हवा आये

ख्वाब

पहले थोडा हँस लू में,
ये बेबसी हैं जो हँसी हैं

तुझे भुलाने की जिद,
एक खौफ ,एक कुफ्र ..
ज़ेहन से जबरदस्ती.

शायद
खुश हूँ में,
खुश हैं तु!!

अच्छा जो हुआ, सो हुआ,
ज़िन्दगी अभी,आधी भी नहीं जी !!

ऐसा करो,फिर चली आओ ख्वाबो  में,
के आग लगनी हैं,कुछ बुझे हुए चिरागों में!!!