Thursday, November 8, 2007


TERI AANKHEIN............

आवारा नही था मैं फिर भी घूमता था दरबदर,
काम नही था ये ,शौक था मेरा,
तलाश थी न जाने मुझको किसकी
जा पंहुचा मैं मंदिर से मस्जिद तक,
तू मिली मुझे वहा जहा रहता था मैं शाम सेहर,
जब से देखा है तेरी आँखों मैं,
भेद न कोई धर्म का,
पवित्र सा हु मैं आज,

तेरी आंखें ..................
जब भी देखता हु इन्हें ,
बस रूक जाता हु ,
तेरी आंखों कि गहराई मैं,
बस जाता हुँ,
जो आंखें है तुम्हारी जादू से काम नही,
एक मासूम बच्चें सा ढग जाता हुँ

तेरी आंखें ......................
जब खुलती है यह आंखें ,
तो सोचता हु क्यों न ये ही जीवन है,
और मैं दीवाना इनका
करने इब्बादत,इनके सामने झुंक जाता हुँ,

तेरी आँखें ..........................
जब झुकती हैं ये आंखें तो,
शयाई के घेर गहरे हो जाते है,
जैसे सूरज छुपा है
और बादल उमड़ आते है,

तेरी आंखें ..........................
क्या तुमने कभी देखी हैं लहरे सागर कि,
जब रोती हैं ये आंखें,तो क़यामत होती है,
खुद खुदा घबराता है ऐसे मंजर से,
और मैं सूरज की तरह सागर निगल जाता हु,

तेरी आंखें ..........................
अगर ये आंखें करे शरारते ,
तो नशीब समझे ,
पत्थर खाये थे मजनू ने इनके लिए,
और मैं कहता हु-हे खुदा,ये वक़्त यही क्यों नही रूक जाता है,

तेरी आंखें ..........................
जब वो आंखें बातें करती है,
मुझे वो शायरी सी लगती है,
जो हमारी धड़कने नादान
कई दिनों बाद समझती है

तेरी आंखें ..........................
कुछ छुपता नही है,
तुम्हारी आंखों मैं,
हिरन सी क्यों है ये,
क्या तुम बता सकती हो
की जीवन सी क्यों है ये,

तेरी आंखें ..........................
जो चाहते है काबू पाना इनपर,
मर जाते है वो इश्क मैं,
क्या तुमने सोचा था कभी
कि इतना भी तड़ँपाती है आंखें,

तेरी आंखें ..........................
पहेली नही है ,
पर माया से कम न समझो
हर पल मुझको कुछ नया सिखाती है ये,

तेरी आंखें ..........................
गंगा सा साफ है ये तेरा मॅन ,
चंद्रमा सी कया ,
शायद इसीलिए मुझे,
खुदा के दर्शन कराती है ये

तेरी आंखें ..........
नही घूमता मैं दरबदर अब,
न तलाश है किसी कि,
सब कुछ है मेरे पास,
अब ना है कमी किसी कि,
जब से है हुई रूबुरु तेरी आंखें

तेरी आँखें ..........................बस इन्हें ही देखता हूँ आज कल ......................