Sunday, August 15, 2010

ख्वाब

पहले थोडा हँस लू में,
ये बेबसी हैं जो हँसी हैं

तुझे भुलाने की जिद,
एक खौफ ,एक कुफ्र ..
ज़ेहन से जबरदस्ती.

शायद
खुश हूँ में,
खुश हैं तु!!

अच्छा जो हुआ, सो हुआ,
ज़िन्दगी अभी,आधी भी नहीं जी !!

ऐसा करो,फिर चली आओ ख्वाबो  में,
के आग लगनी हैं,कुछ बुझे हुए चिरागों में!!!

1 comment:

Arin said...

Hey dis is d one u wrote in office na....itne time baad upload ki....bt as I said....say it to d one u luv n she'll sme bk running n melting in ur arms