Thursday, October 21, 2010

शायर

मैं अकेला हूँ,
ये हर हसीं को पता हैं!!

पता हैं मेरा पता,
शायर हूँ,उन्हें ये भी पता हैं!!

सुबह-ओ-शाम  घर में रहता हूँ,
बंद कमरों,आइनों में रहता हूँ!!
पर वो आकर कागज़ पर बैठ जाती हैं,
ज़बरदस्ती मुझसे इश्क करवाती हैं,
कभी मेरे कानो को दांतों से काटती हैं,
कभी मुझे चूमती हैं,चूमती जाती हैं!!

मैं अकेला हूँ,
ये हर हसीं को पता हैं!


पता हैं मेरा पता,
शायर हूँ,उन्हें ये भी पता हैं!!!!

क्या सपने में भी,तेरे घर जाता हूँ मैं?

एक ही गलती बार बार दोहराता हूँ मैं,
तेरी गली में जाकर,लौट आता हूँ मैं!!

में रोता नहीं, की जहाँ बरसेगा,
इल्तजा-ऐ-दिल,बरस जाता हूँ मैं !!

कोई तो करीब रहे,एक मुर्दा रूह के,
के किसी को अब, भूलता जाता हूँ मैं !!

आज कल आईने में देख के खुद को,
डर जाता हूँ में,घबरा जाता हूँ मैं !!

बिना बात तो गुफ्तगू भी नहीं होती,
तेरे मामुल(१) पर,दिल को बताता हूँ मैं !!

कोन पीता हैं,की नशा ना हो,
नशा हैं ,तभी जीता जाता हूँ मैं !!

हर एक को मालूम हैं,तेरा पता,
क्या सपने में भी,तेरे घर जाता हूँ मैं ??

१ मामुल -ख्याल/याद

एक शायर कुछ भी कर सकता हैं

जिस्म बिखेर सकता हूँ में,
जमीं,मेज़ जहा लिखता हूँ,
गोद,बिस्तर पे,
अपनी एक एक निगाह पे!!

एक शायर कुछ भी कर सकता हैं!!

खुद को तार तार कर,
में सांस लूँगा,में तुझे देखूंगा,
टूटे हुए आईने में,
तु हज़ार बार दिखाती हैं...

एक शायर कुछ भी कर सकता हैं!!

के हम बस इश्क करते हैं,
सीपियों में मोती की तरह!!!

मिय्याँ शेर सुनाइये हमें!!

लो मैंने उसे सफहें सा मिटा दिया,ज़िन्दगी से,
और तुम कहते हो,
मिय्याँ शेर सुनाइये हमें!!

कभी सुनना हैं तो,खूब पिलाओ हमें,
कभी बन कर जो तुम ना हो,
रिझाओ हमें...
कभी बेगैरत हो जाओ,और खो दो,
जो तुम ना हो!!
अपनी नाक ,आबरू दफ़न करो,
सर-ऐ-आम कहो,में आशिक हूँ,
आशिक हूँ में!!

रुला दूंगा तुम्हें,
ये इश्क हैं!!

उसे में क्या कहू.

आज फिर लड़के सा लगा मुझे,खुद.
रुखसार भीग गए.
सिगरेट जलती हुई,आधी बुझा दी,
दिल भी जलता हैं,इन दिनों बहुत,
बहुत तपन हैं,बहुत तड़प.

भूख थी इश्क की,
इश्क करता रहा,करता रहा.
बस और क्या कहू,क्या लिखू,
कुछ नहीं सुझाता.

बीयेर का नशा उतर रहा हैं,
तेरा ना जाने कब उतरे,
दिल हमेशा सोचता हैं,
की में ऐसा क्या करू,
उसे में क्या कहू......

बॉम्बे

कभी बरसे बॉम्बे ,
समझाना में आस-पास हूँ,
एक प्यास हैं तुझे,
तुझे छुना चाहता हूँ...

बारिश में बहार निकल आना!!

कभी चुप चाप बैठे रो देना,
मुझे सोच कर,
हिसाब बराबर हो जायेगा!!

तुम भूल जाओगी मुझे,में भी भूल जाऊंगा.
यही एक भूल हैं,
जो भूल नहीं पाएंगे हम.

तुम मुझे बहुत याद आओगी !!!