Thursday, August 6, 2009

मैं कोटर...

ज़द की ख़बर किसे,
बह कर भी प्यासा हूँ।
कोटर की तरह जिद मैं हूँ,
सिर्फ़ तुझे पाने की....
ये बरसे,
मैं पुछु ख़ुद से,
मेरा सावन कब आएगा.....:-)

आशिक

तुम्हारे जवाबो के जवाब ना दे पाए,
सोचो कितने,
कमज़ोर आशिक हैं।
तेरी कही मेरी सुनी बातों को,
कई रात पढ़ते रहे,
ठीक कहा,
लाचार आशिक हैं।
तुम तो बोल देती हो कैसे भी हमारे लिए,
तेरी हर बात के हज़ार मतलब,
क्यों हम अब इतने,
समझदार आशिक हैं।
कभी आना चाँद देखेंगे साथ,
जो हूँ तुम्हारे ही रहमो करम से हूँ बेगम,
अब जो लोग कहते हैं इश्क मैं,
बेकार आशिक हैं!

हकिमत

इन लबो के ज़ख्मो को बरसो,
मरहम ही लगे हैं ख़ुद से.
यु ही ये हाकिम इश्क का,बस आशिकी मैं,
शायराना ना हुआ।

जो पूछती हो कहा कहा इश्क बसा,
ठहरो खोजने दो।
अभी कहा जमाना हुआ।

तेरी बेरुखी और इश्क कबूलने मैं,
धागे भर का फर्क हैं।
फ़िर कहना कौन किसका,
दीवाना हुआ.

हिसाब

हर वादे पर ना ,तू चुप रहे,
दुश्मन ही बन जाओ,
तुमसे बदला करे।
नजरो को थामो जायज़ नही,
कह दो इन्हे,हमें फन्हा करे।

मत पूछो हिसाब इश्क का,
दिन उँगलियों पर न आए,
तो क्या करे।