Thursday, June 4, 2009

सौतन बेगम की...

१.इजहार

बेगम बेगम बेगम
जब लिख दिया आज
चौक--मजार,दरो दिवार पे

मैं
,
रूठ गई कलम
बोलती आंसू लिए आंखों मैं
क्यों तुम्हें अब भी हैं ऐतबार
उसके प्यार पे .......

मैं बेजबान सही

तुम्हें जबान दी हैं मैंने

प्यासी रहती हूँ बूंदों की तरह
तेरी उँगलियों के इंतज़ार में....


तुमने नचाया हैं उँगलियों पे
चूमा कई बार
गुस्से से दाँतों तले,
सोच में कानो पर,
शरारत में बदन पर,
आजमाया हैं कई बार
आवारगी
में ना छूकर बरसो,
सताया हैं कई बार
दीवानी
हूँ में तुम्हारी
नदियों सी रूकती हूँ ,
बहती हूँ,
लहू के खुमार मैं


जब जब नाम आया उसका तेरे जहन में
घिस कर अपनी जवानी
उसकी कहानी बयान की हैं मैंने

अब तुम्ही बताओ
कहा कमी हैं उसकी कहानियों में,
कहा मेरे प्यार मैं
कहा मेरे प्यार मैं......


२.मैं लाचार

घंटो बैठे बैठे मैं कलम को यु ही तकता रहा,
और वो यू ही सुबकती रही...
इश्क जादू हैं, इश्क बला हैं....
इश्क मुफलिसी का जलजला हैं...
ये सालो ख़ुद न समझ सका॥
पर उसे
समझाता रहा...
कलम को छुआ,आंसू पोछे,प्यार किया..
कुछ नही॥
घंटो बेगम बेगम लिखता रहा....
बेगम बेगम बेगम बेगम
लिखता रहा...........:-)