Sunday, August 15, 2010

कुरेद कुरेद

पत्थरो पर कुरेद कुरेद कर तेरे नाम को,
यूँ पाक कर दिया हैं,आयतें कुरान को!!

यु ही चल चल कर तेरी परछाई के पीछे,
जिन्दा रहने का हुनर आया हैं रहमान को..

रोज देखता हूँ तुझे चाँद के बहाने,
और इसी बहाने का रहता हैं इंतज़ार एक इंसान को..

मर कर भी तुझे पाया तो क्या पाया ,
तेरे संग ज़िंदगी बिताने का अरमान हैं इस बेईमान को..