Saturday, July 16, 2011

Mumbai

1.याद होगा,
परिंदे ने मुझे माँगा था,
तुम्हें माँगा था मैंने,
बारी-बारी हम तीनो खुद मर जायेंगे.

2.कभी छु कर देख होंठ मेरे,
कितना बडबडाता हूँ मैं अकेले में,
सड़क पर लेता हुआ सोचता हूँ,
मैं पागल मर जाता अकेले में.

3.काश तुम्हारे लबों को किसी ने चूम लिया होता,j
खुदा कसम तुम इतनी बातें ना किया करती.

4.फिर एक रात तमाम की तेरे लिए,
कुछ तो बात होगी,
मुक्कदस तेरे लबों ने कुछ आएतें लिखी थी मुझ पर ,
सिने में उतर गयी होंगी.

5.किस हसरत मैं बैठे हो तुम,
के वो गला काट के मुस्कुरायेगा,
ज़मीर बेच कर किताब मत पढना,
किताबो का ज़मीर मर जायेगा.

वक़्त

कैसे बीता ये वक़्त,
सरफरोशों से हम तकते रहे,रूह,
महकता रहा वक़्त.

फ़क्त चार पैरों पर दुनिया नापनी थी,
लोगो ने सुना,चेह्कता रहा वक़्त.

कुछ इलज़ाम लगे,लगाये गए,
फिर साथ आये,जहाँ बना,चलता रहा वक़्त.

जमीं पर किसी ने लकीरें खिची शायद,
धुंआ उठा,इंजन गर्म,धडकता रहा वक़्त.