Sunday, August 15, 2010

किसी भी काम का नहीं हूँ में!!

के कोई मुझसे दर्द दे,
किसी काम का नहीं हूँ में,
तेरी जुल्फों के सिवा,
किसी भी शाम का नहीं हूँ में.

कोई बेशक मदहोश करे,
या ले बज़्म में चूमे.
किसी हसीं,
किसी जाम का नहीं हूँ में...

किसी भी काम का नहीं हूँ में!!!

1 comment:

VIJAY said...

kya likhye ho zalim ...