Sunday, August 15, 2010

मैं शेर..

१.
ऐतराम बंधे हो इससे राज रखो
लोग सुनेंगे,बेवफा कहेंगे तुम्हें
रात को जगती हो तो क्या,
चाँद  नहीं,
ओपरी हवा कहेंगे तुम्हें...

२.
राती राती न जगाया कर..
जदों बुलाऊ,आ जाया कर...

की मोल लगाना तेरी देह  का..
मेरे बिना  ..
जदों इश्क गाऊ,
बिखर जाया कर..

राती राती न जगाया कर..
जदों बुलाऊ,आ जाया कर...

३.
कर कुफ्र जा संभालू न कटी
तु ज़ुल्म कर,बस आह करू
पेशानी पे जश्न अब भी

४.
तुम सब खामोश क्यों,चएको मरे यारो
आज तो चाँद पूरा हैं
और किस चाँद की बात

और किस चाँद की बाततेरा नहीं हैं वो
अधुरा हैं

अधुरा हैं

५.
तु  जलने दे मुझे की बिन मेरे 
आज शाम रोशन न हो..
कही कोई फिर ये ना कह  दे शेर
तुझे महफ़िल  मैं गम  न हो..

६.
कुफ्र की रात थी
तमाशगीर  कहते हैं
बेतहासा  कुफ्र किया मैंने
हर सांस  से पहले हर सांस  के बाद
 बस नाम तेरा लिया मैंने

७.
अगर सुपुर्द-ऐ-खाक करू खुद को तेरे इश्क  मैं
तो क्या संभालोगी  ज़रा
कुछ नहीं
बस तु हैं,
और इश्क हैं यहाँ..
ये कब्रिस्तान  जो दिल हैं महक उठे
जो तु  आई  यहाँ
बेशक  न हो रंग-ओ-रोनक मेरे सेहर  मैं
मैं हूँ यहाँ

तु हैं यहाँ


८.
तुम सिर्फ इश्क  करो
रूहे बदलने  की बातें न करो
मेरी रूह
जहाँ के गमो से भरी हैं
तुम नाज़ुक बहुत हो

९.
नुक्तो कसीदों हर्फो  के फेर  बदल मैं
कमजोर  हूँ अभी
ये रूहानी कलम  का भोझ  तेरी पलकों से उठाऊ  कब तलक
किसे  तमना हैं बने इंसान बेहतर
तु  दर्द दे
इश्क  मैं और ज़ुल्म धा,
कम से कम
बेहतर शायर ही बना


१०.
हम तो यु ही चल देते हैं,

जब भी दाद-ऐ-वफ़ा आये

तुम रहो धुल उड़ाते ,तकते आसमान

तुम्हारी तरफ की न जाने कब हवा आये

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