Tuesday, June 5, 2012

जल जल जलता रहा,
शब्द चुतियां हैं.
और मैं हूँ पेन धारी बाबा.
जो मैं लिखता हूँ,
वो सच जो तुम समझ लो,
तो भरम हो जाये,
की मैं नंगा घूमता हूँ.
समाज ने बांध दिया हैं शरीर,
औरतों को दी ब्रा, मर्दों को लंगोट,
ताकि वो खुद को छुपा सके.
इनका और कोई काम नहीं.
बंद नहीं सकता मैं,
फालतू की चीज़ों पे खर्च नहीं कर सकता.

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