Tuesday, June 5, 2012

बंद दरवाजे से पार देख सकता हूँ मैं,
बंद दरवाजे आंखों में होते हैं.
तुम दरवाजे के पार कुछ भी देख सकते हो,
माँ देख सकते हो,
नाग का सेक्स,
या खूटे से बंधी हुई बतक.
सुन सकते हो तुम सब,
युही बोलते हैं की,
रौशनी आवाज से तेज़ चलती हैं.
नज़र ख़राब चीज़ हैं,
नज़र हमेशा जल जाती हैं,
काले टिक्के को आँखों के अन्दर कैसे लगाये कोई,
अफीम ना खाए कोई,
सड़क पर नंगा नाचे,
खुद को समझ जाये कोई.
ये साकल किसने बनायीं,
मैं दरवाजे के उस पार देख सकता हूँ,
बेहतर ना हो जो,
दरवाजा खोल जाये कोई.

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