Tuesday, March 8, 2011

पूरी(उड़ीसा) 2

ता उम्र दोस्त मेरे,मशरूफ रहे बहुत,
जो मिले के रोये बहुत,न जाने क्यों?

मिलना तो दो ख्वाबो का दस्तूर हैं,
जिंदा रहे कोई मुर्दा क्यों?

पीने से पहले एक कसम खा लो,
कोई भी बात हो,नाम लोगे तुम उसका जरूर,
पर क्यों?

हर सफ़र,एक मैकदा लगा मुझे,
मैखाने भरे,लोग हँसे,हर जुबान खुश,जख्म क्यों?

मैंने उन सबको अलविदा कह दिया,
जो सोचे बहुत,बोले बहुत,ना जाने क्यों?

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कोई ज़िक्र नहीं तेरे,मेरा,
सपनो मैं आदमी कभी,कहानी नहीं सुनाते!!

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ये जुबां सी दो,आग लगी हैं,
बुझा ना दे तुम्हें.

केसरी रंग पहन,जुमला हैं,
खाखी पहनो दहाड़ दो!

कोई तो हैं जो सुनता हैं,तुम नहीं बोलते,
बोल दो,चिंघाड़ दो!

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