Tuesday, March 8, 2011

पूरी(उड़ीसा) 3

मेरी जां,कत्ल तो कर,
जीने के बाद,सफ़र तो कर!

हर जिंदगी की साँस गिनी हुई,
जीना हैं,तो खुद का ज़िक्र तो कर!

बंद कर दे बोत्तल मैं,या चाँद पे ले चल,
कुछ तो कर,कुछ तो कर!

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चार चाँद हैं,कितनी लड़कियां,
कोई तो चांदनी जमीं पर उतारे.

जो हैं,वो हैं,मैं हु तुम हो,
चुप रहो चाँद जमीं पे न उतारे!


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