Thursday, May 26, 2011

औरत

हवस और इश्क मैं कोई फर्क नहीं,
दोनों बदन में दुह्न्द्ते हैं एक दुसरे को,
तुम जी सकते हो ज़िन्दगी,
जो बस जिस्मों की भाषा सिख लो,
हर सिलवट,रुएँ,तिल छाती पे,
एक एक चोट का निसान,पीठ पर चूम लो,
उसकी रूह के अन्दर जाओ.
रखेले भी औरतें होती हैं,औरतें भी औरतें!
कई दिनों के बाद एक औरत के साथ रह रहा हु मैं,
वो बस चूमती हैं,
कभी बात नहीं कर पाती!!
फिर भी कितना बोलती हैं वो!!

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