Thursday, October 21, 2010

बॉम्बे

कभी बरसे बॉम्बे ,
समझाना में आस-पास हूँ,
एक प्यास हैं तुझे,
तुझे छुना चाहता हूँ...

बारिश में बहार निकल आना!!

कभी चुप चाप बैठे रो देना,
मुझे सोच कर,
हिसाब बराबर हो जायेगा!!

तुम भूल जाओगी मुझे,में भी भूल जाऊंगा.
यही एक भूल हैं,
जो भूल नहीं पाएंगे हम.

तुम मुझे बहुत याद आओगी !!!

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