Tuesday, October 23, 2012

बारिशों में  भीग जाओगी  तुम,
जो इतना नम रहोगी।
जल जाएँगी ख्वाहिशें, तुम्हारे होंठ,
हद बह जायेगी आँखों से।
तुम्हारे नाम का यकीन नहीं होगा तुम्हें,
सिमट जोगी खुद के आगोश में।
ठंढे पहाड़, अकेला मन ,
सोचती रहोगी मुझे, मैं तुम्हें।
खुद के बिस्तर से नहीं उठ पाओगी,
जो फिर बारिश होगी।
मैं तुम्हें याद आऊंगा, तुम मुझे याद आओगी।

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