Friday, December 16, 2011

होंठों के बायीं तरफ

तुम्हारे लाल चश्मे के तिमार,पुरे चाँद
तुम्हारे होंठों के बायीं तरफ के तिल पे,कुछ लिख दू
के लोग मुझे आशिक कहेंगे.


इस गुफ्तगू सी हंसी,शर्माना बेशर्मी में,
हर अदा जो चितकबरे बैग में कैद हैं,
में सब बोल दूंगा कसम से..

यु इतराना के जैसे इश्क का नाम भी न पता हो,
पूछना तुम कौन और कहना मैं ये,
कह दू सब कुछ..

हर उम्र कुछ लोग पूछते रहे,
तेरे जेहन में कोई हैं,क्या वो ये हैं,
क्या कह दू?
के लोग मुझे यु भी,आशिक ही कहेंगे.

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