Tuesday, June 21, 2011

गालियाँ

आजाद था धुआं,अब सांस लेना भरी हैं!
आज़ादी की समझ,आज़ादी से बड़ी बात हैं!
कोयल की चीखें,सबने नहीं सुनी,
कौवे गाते हैं,गाते रहेंगे!

मझदार प्रवृति हैं,संस्कृति थोर उपाय,
तुम्हें वापिस जाना होगा जहाँ  से आये हो!
ये मझदार से पहले की बात हैं!

आइना सबसे नाम नहीं पूछता,
नियमो से पहले बना था आइना शायद,
जो तुम्हें सिर्फ,तुम दिखता हैं!

भूलना राह जवानी की देन,
सब समझ लिया के जैसे जीना भूल गया कोई,
बच्चे सांस लेना भूल जाते हैं,कभी कभी!

हर चोथे पहर,मौत का राग,
अख़बार वाले मर जाते होंगे,
ख़ुशी से मौत बताते हुए!

मेरी गली अब भी खुशहाल हैं,
वहा सब मुझे जानते हैं,
मेरे पिता को भी ,मेरे दादा को भी!

शराबी भी गन्दा नहीं बोलता शराब पीकर,
सच बोलना हर शराबी के बस मैं नहीं,
शराब तो कोई भी पी सकता हैं!

मैंने सब छोड़ दिया था ये कह कर,
की मैं अब नहीं लिख पाउँगा,
गालियाँ देनी आती हैं शराब पीकर,
आज साथ कोई नहीं था तो सोचा,
लिख लू!!

No comments: