Thursday, August 13, 2009

सलाम ज़िन्दगी


आंधी,मोड़ी
राजा रानी,प्रेम कहानी,
मीठी ठण्ड
गाँव का बचपन,
गिल्ली डंडा
उसका स्वपन
सुबहो शाम
हर रुत को,

सलाम ज़िन्दगी

कीकर पे,रोड पे,
किसी के सर पे,
किसी के घर मैं,
दोनों जोड़े हाथों मैं,
किसी किसी के दिल मैं॥
हर बुत को,

सलाम ज़िन्दगी

कंधे पर लटकी हुई,
भूख से बिलखी हुई,
तीनो रंग लिपटी हुई,
जादो मैं सिमटी हुई,
मिटटी से तकती हुई,
खून से ल्थ्दी हुई,
दर्द से मिटती हुई,
एक एक ज़िन्दगी को,

सलाम ज़िन्दगी॥

बॉर्डर पे जवान को,
खेतों मैं मरते किसान को,
होड़ मैं लगे विज्ञानं को,
राजनितिक अज्ञान- को,
१०० मैं से एक विद्वान को,
किसी के गले मैं पड़े कीमती सामान को,
तेरी नज़रो को,उसके अभिमान को,
रोज सैकडो पैदा होते,
कन्यादान को,............:-(


चलिए चोदिये...
जो कहना था,वो तो भूल ही गया,
हम बेह्तार हैं.और बेहतर बनेंगे,
सबसे बेहतर बनेंगे ,
तो,
बरहाल.......
अपने हिंदुस्तान को...

सलाम ज़िन्दगी
सलाम ज़िन्दगी...:-)


happy Independence Day..:-)



3 comments:

Unknown said...

That is a wonderful photograph and poem! :)
--
Sumedh

Unknown said...

Thanks Sumedh..

aDeeBa said...

hmmm yea.. SAlaam Zindagi!!