Wednesday, May 13, 2009

इश्क की जंजीरें ...

बद में,गैरत में और मै में,
ख़ुद को नासाज किया हैं मैंने

जब-जब आया नाम तेरा,
सजदे से उठ कर तुझे याद किया हैं मैंने

इश्क की जंजीरें गुलामी नही ,
जन्मो इन पर नक्काशी का काम किया हैं मैंने

इत्मीनान-ऐ-मोहब्बत,मोहब्बत कहा हैं शेर,
यु तो बरसो मैकदों में आराम किया हैं मैंने....

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