शेर...
इन लिफाफों में हैं सफ़र कितना, ख़त में इसका ज़िक्र भी नहीं.
Friday, December 16, 2011
बुद्धिजीवी नहीं हूँ मैं,
न बन सकता हूँ.
बन तो मैं कुछ भी नहीं सकता.
मैं तु नहीं बन सकता,
मिटटी नहीं हु मैं,
मैं मिटटी भी नहीं बन सकता.
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