श्याह काली हैं वो,
पर बेहद खूबसूरत.
जिस उम्र में हैं,
उसमें हर्फ़ नहीं.
आँखों के नीचें, रात का ज़िक्र,
लड़की को औरत बना सकते हैं , काले घेरें.
हाथ, आँखें, हँसना, बातें,
सब लड़कियों जैसी.
पाँव की जाली वाली जूतियाँ भी.
हर शब्द सुना हुआ,
कुछ नया नहीं.
जेहन में हैं.
वो, उसकी हँसी, नखरा .....
खफा हूँ खुद से.