सारे गवाह मेरे इश्क के मर गए,
कुछ हैं गुमशुदा,बाकी सारे बिक गए.
मैखानो में बची शराब फैकी गयी,
शराब,मैकदे,मैखाने बदले गए.
किसी ने आ कर पुछा मुझसे,
ख़रीदे हुए शायर,कब बख्से गए.
चारदीवारी की तरह,तमन्ना में कैद,
हम बंद दरवाजो में,तरसते रहे.
एक जज्बा हैं जो कायम हैं अभी तक,
वो पास आये,बैठे,मेरे लिए सुबकती रहे.
कितने चेहरों की तलाश करता हैं जिस्म,
हम साथ आये,और बस फुदकते रहे.
हर हश्र का तुझे नहीं पता,पता हैं पीना,
पागलपन,लड़ाई,आवारगी..
तेरी इस ऐश में भी,हम जलते रहे.