ये रोज की मुलाकातें महंगी पड़ेगी,
सरे बाज़ार तुम्हें आवाज देके बुलाया जायेगा,
कोई पूछेगा नाम बदतमीज़ी से,
तुम्हारा नैन-नक्श दीवारों पर चिपकाया जायेगा.
किसी ने जो तौबा की तुम्हें देख कर,
नज़ारे झुखा लेना,
दीवारों मैं चुनवाया जायेगा!
हद होगी,जब इतना कहर बरपेगा,
मेरी जान,ऐसे हाल मैं,
बस मुस्कुराया जायेगा!
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