एक ही गलती बार बार दोहराता हूँ मैं,
तेरी गली में जाकर,लौट आता हूँ मैं!!
में रोता नहीं, की जहाँ बरसेगा,
इल्तजा-ऐ-दिल,बरस जाता हूँ मैं !!
कोई तो करीब रहे,एक मुर्दा रूह के,
के किसी को अब, भूलता जाता हूँ मैं !!
आज कल आईने में देख के खुद को,
डर जाता हूँ में,घबरा जाता हूँ मैं !!
बिना बात तो गुफ्तगू भी नहीं होती,
तेरे मामुल(१) पर,दिल को बताता हूँ मैं !!
कोन पीता हैं,की नशा ना हो,
नशा हैं ,तभी जीता जाता हूँ मैं !!
हर एक को मालूम हैं,तेरा पता,
क्या सपने में भी,तेरे घर जाता हूँ मैं ??
१ मामुल -ख्याल/याद
1 comment:
nice hmmm..!
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