जिस्म बिखेर सकता हूँ में,
जमीं,मेज़ जहा लिखता हूँ,
गोद,बिस्तर पे,
अपनी एक एक निगाह पे!!
एक शायर कुछ भी कर सकता हैं!!
खुद को तार तार कर,
में सांस लूँगा,में तुझे देखूंगा,
टूटे हुए आईने में,
तु हज़ार बार दिखाती हैं...
एक शायर कुछ भी कर सकता हैं!!
के हम बस इश्क करते हैं,
सीपियों में मोती की तरह!!!
No comments:
Post a Comment