यु हर इश्क के बाद तू बोले,
देखा पता था,यही होना था..
ये सब बात हैं तेरी,तेरी खुशबु भी..
कोई बेशक एतियात बरते,ये सब तू हैं.
हर एक ज़िक्र मैं तू हैं,बेगम,
तुझे क्या पता सूरज कैसे निकलता हैं..
इस तमन्ना मैं हैं हर कतरा,
के वो तुझ पे बैठे..
तुमने बाल खोल दिए,
नहीं खुले हुए थे..
यु जुस्तजु हैं तेरे इनकार की,
ये करवा,फिरसे बदला जाये..
देखा पता था,यही होना था..
ये सब बात हैं तेरी,तेरी खुशबु भी..
कोई बेशक एतियात बरते,ये सब तू हैं.
हर एक ज़िक्र मैं तू हैं,बेगम,
तुझे क्या पता सूरज कैसे निकलता हैं..
इस तमन्ना मैं हैं हर कतरा,
के वो तुझ पे बैठे..
तुमने बाल खोल दिए,
नहीं खुले हुए थे..
यु जुस्तजु हैं तेरे इनकार की,
ये करवा,फिरसे बदला जाये..
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