आज फिर लड़के सा लगा मुझे,खुद.
रुखसार भीग गए.
सिगरेट जलती हुई,आधी बुझा दी,
दिल भी जलता हैं,इन दिनों बहुत,
बहुत तपन हैं,बहुत तड़प.
भूख थी इश्क की,
इश्क करता रहा,करता रहा.
बस और क्या कहू,क्या लिखू,
कुछ नहीं सुझाता.
बीयेर का नशा उतर रहा हैं,
तेरा ना जाने कब उतरे,
दिल हमेशा सोचता हैं,
की में ऐसा क्या करू,
उसे में क्या कहू......
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