हमपे क्या बीती ,जान-ऐ--जा ,
बीती तो उस आस पे,
जो अभी तक जिंदा हैं!!
तु करीब आने से डरें,और तु ही चूमे मुझे,
मेरे होंठों से पूछ,
जो अभी तक शर्मिंदा हैं!!
तु मौसमों की तरह,मेरी बाहों में,
यह कफस(1) नहीं,
मेरा दिल बेशक परिंदा हैं!!
तुझमें जो शर्म थी,बदचलन कहा छोड़ आई तु,
अब मेरे होंठो पर तेरे होंठ,
यही ज़िन्दगी हैं,और बस हम जिंदा हैं!!
1.कफस-पिंजरा
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