शेर...
इन लिफाफों में हैं सफ़र कितना, ख़त में इसका ज़िक्र भी नहीं.
Saturday, May 16, 2009
मैखाने के बाद.....
हर हसीना को लगता हैं हम उनके आशिक हैं..
कोई बताये उन्हें शेर
मै हमें नही.....
हम मै को चडते हैं...
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